Sunday 8 June 2014

इस जन्म भूमि के रक्षक हैं हम ....

इस धरती पर हमने जन्म लिया
 इस जन्म भूमि के रक्षक हैं हम
कह दो इस अमर धरा पर
बीज विषमता के बोने वालों से
यदि भक्षक हैं वो तो तक्षक हैं हम
किसी आततायी को हम इसमे
पैर न रखने देंगे
ये धरती ममता की वेदी है
इसके सीने में खंजर धसने न देंगे ।

इस धरती पर रहने वाला
हर मनुज हमारा भाई है
ललकारेगा कौन मनुजता को
किसकी शामत आई है ...!
जब तक प्राण हैं तन में तब-तक
बाल न बांका कोई कर सकता
ये हम जन-जन से कह देंगे
और पड़ी जरूरत तो
अपने लहू के हर कतरे से
हम जय भारत माता की लिखेंगे
जय भारत माता की लिखेंगे ... ॥

यह कर्म भूमि है हम रणधीरों की
झुके नहीं जो तोपों के आगे
यह भारत माता जननी है ऐसे वीरों की
इसका मान न जाने पाये
चाहे जान हमारी भले ही जाये
इसकी मर्यादा की खातिर
हम एक तो क्या -
सैकड़ों शीश न्योछावर कर देंगे
और पड़ी जरूरत तो
अपने लहू के हर कतरे से
हम जय भारत माता की लिखेंगे
जय भारत माता की लिखेंगे ... ॥

अंजलि पंडित ।
  


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