Friday 19 July 2013

ये कैसा भारत निर्माण.........!

कहते हैं वो..... कि भारत निर्माण हो रहा है .....
पर जरा कोई बताए मुझे कि क्या-.....

जन-मानस में व्याप्त कलुषता
प्रमाण है इस बात का कि
भारत निर्माण हो रहा है .......?
इस समाज में , हर परिमाण में
हर मन में बसी बेबसी ......
प्रमाण है इस बात का कि-
भारत निर्माण हो रहा है ....?

हर कोमल मन को
दिल से लेकर अंतःस्थल तक को
डसती गरीबी......
प्रमाण है इस बात का कि -
भारत निर्माण हो रहा है .....?

जिन रहनुमाओं को मिला ठेका
बेईमान पकड़ने का
बन न्याय के पहरेदार अन्याय से लड़ने का
उन हकीमो का बेईमान होना ही
प्रमाण है इस बात का कि-
भारत निर्माण हो रहा है ......?

चारों ओर भृष्टतंत्र का बोलबाला
अब नहीं होता मिलावट खोरों का मुह काला
लूट रहा है अवाम को
सत्ता का रखवाला .....
और गरीबों कि खातिर हर पल
सुरसा की  तरह मुंह फैलाती
मंहगाई की ज्वाला
प्रमाण है इस बात का कि -
भारत निर्माण हो रहा है ........?

अरे ओ ! भोले भारत की भोली जनता
अब तो जागो इस नींद  से ....
वरना सफेदपोश में बैठे
ये अन्तर्मन के काले लोग
छीन लेंगे आँखों से हर सपना ...
और दूर कर देंगे हर उम्मीद  से ......
अपना घर अब हमको स्वयं बचाना होगा
जिसमे अमन के फूल खिले
जिससे खुशहाली के बीज मिलें
ऐसी फसल लगाना होगा
वरना मचता रहेगा इसी तरह ह्रास-त्रास
होता रहेगा मानवता का परिहास
और कहते रहेंगे ये दलाल ......कि-
हो रहा भारत निर्माण .......
और हर  मन बेचैन हो
करता रहेगा  ये सवाल कि-
नोटों के उछलते हुये बंडल .....
और संसद में मचता बवाल ही
प्रमाण है इस बात का कि -
हो रहा भारत निर्माण .........!
ये कैसा भारत निर्माण ........?
ये कैसा भारत निर्माण.........?

अंजलि पंडित ।

Tuesday 9 July 2013

किसकी चाहत में कितना दम है ......

कौन कमबख्त कहता है कि
हसरतें दिल की पूरी नहीं होतीं ......
तक़ाज़ा तो इस बात का है कि
किसकी चाहत में कितना दम है ...... 

हो जाए तब-तक न देर प्रिए .....

साकी बाला के अधरों पर
कितने ही मधुर अधर हों बलिहार ,
पर वो तो कुछ पल का ही
होता है खेल प्रिए......
ये तो सारे मनचले कीट-पतंगे हैं,
परवाना तो होता है बस एक प्रिए ....
तुझको भ्रम होगा कि ये सब
तेरे संग इतराने वाले तेरे साथी हैं ....!
ये तो सब मेले संग जाने वाले हैं ,
सूनापन बहलाने वाले से
मत आंखे फेर प्रिए.......
पूंछ जरा मेरे मेरे दिल से कि -
तुझे गैरों संग देख इसपे क्या गुजरती है ,
भरी भीड़ मे भी तन्हा रहता हूँ मैं
पर तेरी तो कटती है
महफिल में हर शाम प्रिए ......
हालांकि ये बात पता है मुझको कि -
तेरी बातों में न सही
पर तेरे ख्वाबों में मैं ही हूँ ,
मुझे कचोट बस इतनी है कि
जब तक तू मेरा मोल करे
हो जाए तब-तक न देर प्रिए .....  

Sunday 7 July 2013

मुझे गैरत नहीं चाहिए.....

मुझे दौलत नहीं चाहिए
मुझे शोहरत भी नहीं चाहिए ....
जो मिटा दे मेरे ईमान को
मुझे बस वो गैरत नहीं चाहिए ।
आता है तूफान तो आ जाए
डूबती है मेरी कश्ती
तो डूब जाए .......
पर किसी पर पैर रखकर
ऊपर चढ़ने की ...
मुझे फितरत नहीं चाहिए ।
जितनी लहरें हैं समंदर के अंदर
उससे कहीं ज्यादा ज्वार
मैंने अपने सीने में दबा रखा है ....
अगर तोड़ दूँ बंदिशें
तो खुदा कसम  सैलाब आ जाएगा .......
पर ढह जाए जिससे
किसी का आसियाना
मुझे खुद को साबित करने वाली
ऐसी हसरत नहीं चाहिए ॥


...हो जाए न देर प्रिए ...!

साकी बाला के अधरों पर
कितने ही मधुर आधार हों बलिहार ,
पर वो तो कुछ पल का ही
होता है खेल प्रिए......
ये तो सारे मनचले कीट-पतंगे हैं,
परवाना तो होता है बस एक प्रिए ....
तुझको भ्रम होगा कि ये सब
तेरे संग इतराने वाले तेरे साथी हैं ....!
ये तो सब मेले संग जाने वाले हैं ,
सूनापन बहलाने वाले से
मत आंखे फेर प्रिए.......
पूंछ जरा मेरे मेरे दिल से कि -
तुझे गैरों संग देख ईसपे क्या गुजरती है ,
भरी भीड़ मे भी तन्हा रहता हूँ मैं
पर तेरी तो कटती है
महफिल में हर शाम प्रिए ......
हालांकि ये बात पता है मुझको कि -
तेरी बातों में न सही
पर तेरे ख्वाबों में मैं ही हूँ ,
मुझे कचोट बस इतनी है कि
जब तक तू मेरा मोल करे
हो जाए तब-तक न देर प्रिए .....