मेरे मन को मन का मीत मिला है
जैसे साँसों में संगीत घुला है
करती हूँ महसूस उसे हर पल
जीवन की वीणा धुन में
अब आके कोई गीत मिला है
उलझन- सुलझन के बीच फंसी हूँ
कुछ कह भी न पाऊँ
चुप रह भी न पाऊँ
विधि का कैसा अजब यह मेल मिला है । अंजलि पंडित ।
जैसे साँसों में संगीत घुला है
करती हूँ महसूस उसे हर पल
जीवन की वीणा धुन में
अब आके कोई गीत मिला है
उलझन- सुलझन के बीच फंसी हूँ
कुछ कह भी न पाऊँ
चुप रह भी न पाऊँ
विधि का कैसा अजब यह मेल मिला है । अंजलि पंडित ।
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