Sunday 7 July 2013

मुझे गैरत नहीं चाहिए.....

मुझे दौलत नहीं चाहिए
मुझे शोहरत भी नहीं चाहिए ....
जो मिटा दे मेरे ईमान को
मुझे बस वो गैरत नहीं चाहिए ।
आता है तूफान तो आ जाए
डूबती है मेरी कश्ती
तो डूब जाए .......
पर किसी पर पैर रखकर
ऊपर चढ़ने की ...
मुझे फितरत नहीं चाहिए ।
जितनी लहरें हैं समंदर के अंदर
उससे कहीं ज्यादा ज्वार
मैंने अपने सीने में दबा रखा है ....
अगर तोड़ दूँ बंदिशें
तो खुदा कसम  सैलाब आ जाएगा .......
पर ढह जाए जिससे
किसी का आसियाना
मुझे खुद को साबित करने वाली
ऐसी हसरत नहीं चाहिए ॥


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