तेरे इस महकते गुलशन मे अशआर बाँटू मैं
ऐ खुदा मुझको इतनी दुआ दे दे कि
हर दिल में प्यार बाँटू मैं
सबके मन से नफरत का जहर मिटा सकूँ
दहकते शोलों में भी -
प्यार की शमा जला सकूँ
उठे जब हाँथ मेरे तेरी दुआ में
तो सबके
दामन के लिए
खुशियों की सौगात
मांगू मैं
मुझे नहीं
मालूम कि
हिन्दू क्या है ... मुसलमान क्या है...
सिक्ख और ईसाई मे भेद क्या है
मुझे बस इतना
पता है कि
ये सब तेरी
परछाइयाँ हैं
इसीलिए जब देखूँ
मैं किसी मरहूम को
उसको गले लगा
लूँ मैं ॥
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