कागज के चंद रंगीन टुकडों में
देखो ईमान बिक रहा है
जो विरासत थी हमारी कभी
वो संस्कार सरेआम लुट रहा है
अपने अस्तित्व का मान जहां
रखा जाता था हर पल
ममता की वेदी में न्योछावर था
सबका तन-मन.....
झुके नहीं थे वीर जहां के तोपों के आगे
स्वाभिमान की खातिर
–
त्याग दिया जाता था जीवन
उसी भूमि पर
आज हमारा
जीवन झुलस रहा
है
कागज के चंद
रंगीन टुकड़ो में
देखो ईमान बिक रहा है...
जिस संविधान
की रचना की थी बाबा साहब ने
जिस राम-राज
का सपना देखा था बापू ने
आज वह बस
नेताओं की
स्वार्थ पूर्ति का साधन है
देखो संसद में
इंसानों का सौदा हो रहा है
कागज के चंद
रंगीन टुकड़ो में
देखो ईमान बिक रहा है...
बदल गयीं हैं जीवन की राहें
बदल गया है जीने
का मतलब भी
आज सभी को
चिंता है केवल अपने हित की
नहीं दिखाई
देता है स्वाभिमान कहीं अब
जहां देखि
नोटों की हरियाली
वहीं शीश झुक
रहा है ……
कागज के चंद
रंगीन टुकड़ो में
देखो ईमान बिक रहा है...
sundartam,jitni bhi tareef kijay kam hai..............
ReplyDeleteBhagwan aapki lekhani ko or dhardar banayen..
yhi meri mangal kamna hai.
Adarsh Tiwari,
+ 91 9636106938
Bahut sundar rachna,lekhan ki disha me aapko meri taraf se subh mangal kaamna
ReplyDeleteYogesh Tripathi
+91 9554954273