Thursday 6 December 2012

जहाँ चाह है वहाँ राह है


खुद पास आता है चलकर के साहिल

मंजर की तरफ जरा कदम बढ़ा के तो देखो

जिंदगी की हर मंजिल कैसे बनती है महफिल


मंजिल की राहों में कदमों के पहरे बिछा के देखो

अपने ही हाथों मुकद्दर बनाना कोई बड़ी बात नहीं

हसरत के आईने में एक तस्वीर सजा के तो देखो

कैसे नसीब होती है ज़िंदगी की हर खुशी

गम के अँधेरों मे एक दीपक जला के तो देखो

ख्वाबों के रंगमहल को हकीकत बनाना भी आसान है

पहली आँखों में सपने सजा के तो देखो

जिंदगी का हर गम खुद दूर चला जाएगा

जरा दूसरों की खुशियों में मुस्कुरा के तो देखो         

अगर रोशन करना चाहते हो जिंदगी की हर घड़ी

तो गम के शोलों के बीच एक शमा जला के तो देखो......

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