Monday 3 December 2012


आओ सब कदम मिलाकर चलें  

आओ सब कदम मिलाकर चलें

जग को उजियारे में लाएँ

अंधेरे से डरने से अच्छा है कि

हम एक दीपक जलाएं

हर तन में रोशनी भर दे हम

हर मन में रोशनी भर दे हम

इतने दीप जलाएं कि

हर जीवन में रोशनी भर दे हम

मिट जाएगा गरीबी का अँधियारा

मेहनत के दीप जलाने से

मिट जाएगी लाचारी भी

हिम्मत कि रोशनी लाने से

हर मजबूरी कि एक दवा है

चलो विश्वास कि ज्योति जगाएँ

अंधेरे से डरने से अच्छा है कि

हम एक दीपक जलाएं ।

अँधियारा कितना भी घना हो

रोशनी कि एक किरण से भग जाता है

मंजिल की राहें लाख कठिन हों

कोशिश करने से सब मिल जाता है

सब पा सकते हैं अपनी मंजिल

सब मे ये विश्वास जगाएँ

अंधेरे से डरने से अच्छा है कि

हम एक दीपक जलाएं ॥ 

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