कलम की धार से
Wednesday 5 December 2012
दिवाली
दीयों के जलाने से यदि अंधकार मिटता है
तो ऐसी दिवाली हम रोज मनाएंगे
मयस्सर हो जाए रोशनी –
हर आशियाने को
,
बस इतनी ही दुआ है
खुदा से हमारी
इसके लिए गर पड़ी जरूरत तो-
हम खुद को भी जलाएँगे ।
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