संस्कृति अनमोल धरोहर भारत की है
इसे बचाओ भारतवासी
अब जगती की पुकार यही है
जग सिरमौर इसे बनाने का
कारण है इसकी संस्कृति
फिर क्यों कुसंस्कारों से
होती जाती यह तिरष्कृत
क्या आप सभी को एक विदेशी मुद्रा भाई है
नहीं तो फिर क्यों पाश्चात्य की आंधी चलाई है
उन्नति नहीं अवनति होगी
अपनी अमूल्य संस्कृति पतन होगी
जाग जाग हे ! भारत नव पीढ़ी
इसकी रक्षा तुझको करनी होगी
सोंच के क्यों घबराते हो कि
क्या कर लोगे एक अकेले तुम
नहीं नहीं सब साथ तुम्हारे
आगे चलकर तो देखो तुम
आगे चलकर देखा गांधी ने
जग नाचा उनकी उंगली में
अब आज तुम्हारी बारी है
भारत माता ने दे करूण क्रंदन
आवाज पुकारी है .....
तुम युगदृष्टा, युग्सृष्टा, युगपुरुष
युग जागरण के दूत तुम्ही हो
उठो वीर कहीं जगने में देर न हो
सिंचित करो धारा संस्कृति से
इसका कभी पतन न हो ।
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