माना जीवन कि राहें लाख कठिन हैं
पर कोशिश करने में कंजूशी क्यों
तुझे पता है कि हर मुश्किल का हल होता है
फिर चेहरे
में ये मायूशी क्यों
रात हमेशा
नहीं ठहरती है
उजाले कि किरण
को उगना ही होता है
हर राह कि
अपनी एक मंजिल होती है
फिर मेहनत
करने में ये बदहोशी क्यों
मत कर गम यदि दूर है तेरा किनारा
लहरों से मांझी डरना क्यों
लहरों मे कश्ती खेना तो
जीवन का एक नियम है
फिर कश्ती को पार लगाने मे
ये मदहोसी क्यों ........
माना जीवन की रहें लाख कठिन हैं
पर कोशिश करने में कंजूशी क्यों .....
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