Wednesday 5 December 2012

जीवन कि राहें


माना जीवन कि राहें लाख कठिन हैं

पर कोशिश करने में कंजूशी क्यों

तुझे पता है कि हर मुश्किल का हल होता है

फिर चेहरे में ये मायूशी क्यों

रात हमेशा नहीं ठहरती है

उजाले कि किरण को उगना ही होता है

हर राह कि अपनी एक मंजिल होती है

फिर मेहनत करने में ये बदहोशी क्यों

मत कर गम यदि दूर है तेरा किनारा

लहरों से मांझी डरना क्यों

लहरों मे कश्ती खेना तो

जीवन का एक नियम है

फिर कश्ती को पार लगाने मे

ये मदहोसी क्यों ........

माना जीवन की रहें लाख कठिन हैं

पर कोशिश करने में कंजूशी क्यों ..... 

No comments:

Post a Comment